एक ख़त आपके नाम - स्वतंत्रता दिवस
"आज १५ अगस्त २०१३ को स्वतंत्रता दिवस ६७ वाँ अधिवेशन के पावन पर्व पर जीवन ज्योति समिति के तरफ से समस्त भारत वासियों को हार्दिक बधाई"
हमेशा की भांति आज हम फिर इकट्ठा हुए है, उन शहीदों को याद करने के लिए जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता के महायुद्ध में आगे आकर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी, मुझे गर्व होता है कि मैं भी उसी भारत भूमि में जन्म लिया हूँ इसी भारत का नागरिक हूँ l जहाँ ऐसे -ऐसे सपूत पैदा हुए है जिनकी धड़कनें देश के धड़कती थी जिनके रगों का एक-एक कतरा देश सेवा के निश्वार्थ भावना से ओतप्रोत था, लेकिन कभी-कभी मैं देश के बारे में सोचता हूँ आज की परिस्थितियों से रूबरू होता हूँ आज की हालातो को देखता हूँ तो मेरे मन की पीड़ा आँखों से खून बनकर निकलने लगती है मेरी अंतरात्मा मुझे धिक्कारने लगती है और मुझे शर्म आने लगती है की मैं भी इसी भारत का नागरिक हूँ l
क्या यह वही भारत है जिसकी कल्पना, जिसके सपने हमारे शहीदों ने देखे थे?
क्या यह वही भारत है जिसके लिए उन्होंने अपना बलिदान दे दिया था ?
क्या हम इस दिन शहीदों के बलिदानों का जश्न मनाने के लिए इकट्ठा होते है ?
क्या हमारा कर्तव्य सिर्फ तिरंगा फहराने तक ही सीमित है?
क्या हम इतने कठोर है कि वीरों के बलिदान से भी हमारा मन नहीं जाग रहा है ?
नहीं न ?
तो फिर यूँ चुप क्यों हो?
उठो?
जागो?
बढ़ चलो?
क्योकि यह समय, यह धरती तुम्हे पुकारती है। .............