जीवन ज्योति बुला रही है
जीवन
ज्योति बुला रही है, जीवन ज्योति बुला रही है।
मन
के अंधकार को दूर कर, ज्ञान की रौशनी फैला रही है ।।
लड़
रहा है हर कोई बस तेरे और मेरे में,
कैद
हुआ है हर कोई स्वार्थ के घेरे में।
तोड़
कर जंजीरों कोss, तोड़ कर जंजीरों को,
मन
में निःस्वार्थ भावना जगा रही है।
जीवन
ज्योति …………………. रौशनी फैला रही है।।
बढ़
गया है भ्रष्टाचार यहाँss
बढ़
गया है अत्याचार यहाँss
रो
रही है जनता सारीss
नौजवान
बेरोजगार यहाँss
रोकने
वाला कोई नहीं, चुप कराने वाला कोई नहीं ।।2।।
ऐसे
में बन कर ढाल तेरीss
मन
को हौसला दिला रही है।
जीवन
ज्योति …………………. रौशनी फैला रही है।।
कोई
लूटा है राजनीति के आड़ मेंs
कोई
लूटा है धर्म और व्यापार मेंs
महंगाई
सबको मार रही हैss
जिंदगी
सबकी हार रही हैss
टोकने
वाला कोई नहीं, रोकने वाला कोई नहीं।।2।।
ऐसे
में थाम कर हाथ तेराss
कदम
तेरा बढ़ा रही है।
जीवन
ज्योति …………………. रौशनी फैला रही है।।