Thursday, 27 June 2013

एक ख़त आपके नाम - हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी

एक ख़त आपके नाम - हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी


           राष्ट्र को सशक्त बनाने में राष्ट्रभाषा का होना नितांत आवश्यक है इससे राष्ट्र की एकता, अखंडता के साथ-साथ धार्मिक तथा सांस्कृतिक एकता बढ़ती है। और राष्ट्र समृद्धशाली होता जाता है इसीलिए प्रत्येक विकसित तथा स्वाभिमानी देश की अपनी एक भाषा अवश्य होती है जिसे राष्ट्रभाषा कहा जाता है।


         हमारे देश में भी इसी सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान दिया गया है हम सभी इस बात को मानते ही नहीं है अपितु जानते भी है  कि हिन्दी भाषा लिखने-पढ़ने और बोलने में सरल है। और तो और  ‘हिन्दी वह भाषा है, जिसे हिन्दू, मुस्लिम के साथ ही साथ सभी धर्म वाले बड़ी सहजता से बोलते है l पर यह सम्मान सिर्फ संविधान के पन्नों में ही सिमटकर रह गई है क्योकि इसको देश में लागु करने के लिए कोई कठोर कानून नहीं बनाया गया है यह भाषा सिर्फ ऐच्छिक हो कर रह गई है l  अगर हम हिन्दी को सही अर्थों में राष्ट्र भाषा के पद पर प्रतिष्ठापित करना चाहते हैं तो हमें अपने संविधान की धाराओं में संशोधन करते हुए हिंदी भाषा को पुरे देश में अनिवार्य रूप से लागु करना पड़ेगा l


          प्रथम चरण में इसकी शुरुआत हमें हिंदी भाषा की नीवं रखते हुए अपनी शिक्षा में सुधार लाते हुए सभी स्कूलों चाहें वह सरकारी हो या निजी, चाहे उनमें किसी भी भाषा में ही क्यों न पढाई होती हो, हिंदी की पढाई को जो की अभी ऐच्छिक बिषय है उसे अनिवार्य बिषय बनाते हुए जो भी आवश्यक संशाधन की जरुरत हो पूर्ति करनी होंगी l जिससे हिंदी भाषा की नींव मजबूत होगी और नई पीढ़ी की विचारधारा में बदलाव आयेगा l द्वितीय चरण में हिंदी भाषा को मजबूत बनाने के लिए सरकारी कार्यालयों में चाहे पंचायत हो या जनपद पंचायत, बैंक हो या अस्पताल, थाना हो या रेलवे का कार्यालय सभी दस्तावेज हिंदी में ही होने चाहिए और तो और सरकारी कामकाज में हस्ताक्षर भी हिंदी में मान्य होने चाहिए l 


         यहां तक की हमारे बोलचाल की भाषा में बदलाव लाते हुए BYE, TATA जैसे वाक्यों को बोलचाल से दूर करने होंगे क्योकि हाथ हिलाकर हम  TATA कहते है उसका अंग्रेजी में कोई अर्थ होता ही नहीं है यह TA का मिश्रित रूप है जिसका अर्थ धन्यवाद, कृपया, शुक्रिया होता है और जिसे हम किसी से विदाई लेते समय इस्तेमाल करते है उस परिस्थिति में हम हिंदी में "फिर मिलेंगें" या अंग्रेजी में BYE कह सकते है लेकिन जहाँ तक हम समझते है कोई भी हिंदुस्तानी BYE शब्द का उपयोग नहीं करना चाहेगा क्योकि BYE का अर्थ अलविदा होता है और ज्यादातर आदमी अलविदा के अपेक्षा "फिर मिलेंगें" कहना ज्यादा सार्थक और उचित समझेगा l  इसी तरह से हमें दूरसंचार के वाक्यों को भी बदलना होगा और “HELLO” की स्थान पर हिंदुस्तानी संस्कृति का सम्मानित शब्द “नमस्ते” “हाँ जी” या “जी” का प्रयोग करने होंगे l हालाँकि यह सब इतना आसान नहीं है लेकिन असम्भव तो कुछ भी नहीं है l जरुरत है पहल करने की -



Ø  क्या हम अपने राष्ट्रभाषा के लिए इतना नहीं कर सकते?
Ø  क्या हम अपने राष्ट्रभाषा को भूलते जा रहें है?
Ø  क्या हम अपने आप को सही अर्थों में पढ़ें-लिखें कह सकते है? जबकि हमें अपने ही भाषा का ज्ञान नहीं है ?
Ø  क्या वास्तव में हम अब भी गुलामी में रह रहें है?
Ø  क्या हमें वास्तविक आजादी नहीं मिलेगी?
Ø  क्या सरकार राष्ट्रभाषा को पुरे देश में लागु नहीं कर सकती है?
Ø  क्या सरकार राष्ट्रभाषा को पुरे देश में लागु करने के लिए कठोर कानून नहीं बना सकती है?
Ø  क्या हमारी राष्ट्रभाषा का आने वाले समय में कोई अस्तित्व नहीं रहेगा?
Ø  क्या हम अपने ही राष्ट्र भाषा को बचा नहीं सकते है?

ऐसे ही न जाने कितने सवालों के जबाब तलाशने की कोशिश में -


        हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रयोग बहुलता से कर राष्ट्र के प्रति अपनी सम्मानता और कृतज्ञता प्रकट करने से हम पीछे नहीं हटेंगें l और यदि हम इस तरह से हिन्दी को उसका वास्तविक हक़ दिलाने के लिए तथा उसे सही अर्थों में राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठापित करने की योजनाएँ बनाते हैं तो आने वाले कुछ ही समयों में हिंदी वास्तव में राष्ट्रभाषा के पद पर गौरवान्तित होगी l तो आइए आज से ही हम सब हिंदी को वास्तविक राष्ट्रभाषा बनाने हेतु नि:स्वार्थ भाव से प्रयास करें।


जीवन ज्योति समिति
ग्राम / पोस्ट – कोंडतराई, व्हाया – भुपदेवपुर, जिला - रायगढ़ (छ. ग.) 496661
फोन नं. – 09981299393, ई-मेल – jiwanjyotisamiti@gmail.com

Saturday, 1 June 2013

एक ख़त आपके नाम - नशामुक्ति अभियान

एक ख़त आपके नाम - नशामुक्ति अभियान
“नशाखोरी से दूर रहे यह आपको कैंसर जैसे बिमारियों से पीड़ित कर सकता है यह एक धीमा जहर है l जो आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने के साथ-साथ ही आपके परिवार के खुशियों को भी निगल सकता है l”


मंदिर मस्जिद की दीवारें हो या सरकारी आफिसों का कोई कोना, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन हो या रेलगाड़ियों की खिड़कियाँ, चौराहे की खम्बे हो या हावड़ा का पुल हर तरफ गुटखा का जरदायुक्त थूक ही थूक दिखाई देता है l जिसे देखकर घिन्न आने लगती है जो स्थानों को दूषित करने के साथ ही साथ वातावरण को जहरीला बना रहा है l तम्बाकू युक्त गुटखा खाकर लोगों की शक्लें अजीब-अजीब सी होती जा रही है,  सभी तरफ गले का कैंसर, मुंह का कैंसर की रोगियों की संख्या दिन ब दिन  लगातार बढती जा रही है। हालात चिंता जनक है फिर भी जनता सब जानते हुए भी तम्बाकू युक्त गुटखा खाने से, खाकर थूकने से बाज नहीं आ रहे है l बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी बड़ों को देखकर नशाखोरी करने लगे है और सरकार की माने तो सरकार ने गुटखा पाउच पर रोक लगाने का फैसला लिया है। और कई राज्यों पर तंबाकू वाले गुटखे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। छत्तीसगढ़ में गुटखा एवं पान मसाला पर एक साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है। तंबाकू वाले गुटखे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए ओडिशा सरकार ने भी घोषणा कर दी है और  इस तरह से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, गोवा, उत्तराखंड और ओडिशा समेत कुल 17 राज्यों में तंबाकू उत्पाद पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। इस तरह से देखा जाये तो लगभग हर राज्यों में तंबाखू युक्त गुटखा पाउच पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन यह प्रतिबन्ध सिर्फ कागजो तक ही सिमट कर रह गया है एक आलेख में मैंने पढ़ा है भारत में सालाना लगभग 9 लाख मौतें नशाखोरी से होती हैं। वहीं विश्व स्तरीय दृष्टिकोण से देखे तो नशाखोरी में भारत का दूसरा स्थान है। इस तरह से तो प्रतिबंध का असर कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। अगर प्रतिबंधित राज्यों के क्षेत्रों का दौरा किया जाये तो ऐसा कोई क्षेत्र नहीं मिलेगा जहां तंबाकू वाले गुटखे न बिक रहे हो। पहले पान ठेले, चाय ठेले पर गुटखे मिलते थे पर अब तो दुकानों के साथ-साथ गुटखे का चलता फिरता ठेला भी देखने को मिल जाता है और अब तो खास बात यह नजर आती है कि जहां गुटखा एक रुपए का बिकता था, वह दो से तीन रुपए, तो कहीं-कहीं चार रुपए का बिकता दिखायी देता है। जिससे दुकान वालो की चांदी हो गई है ये दुकान वाले, ठेले वाले कब, कहाँ और किस थोक दुकान से गुटखा पाउच की व्यवस्था कर लेते हैं किसी को पता भी नहीं चलता हैं । मजेदार बात तो यह है कि इन ठेलो पर गुटखा बेचने से रोकने के लिए जिन कर्मचारियों (पुलिस) को नियुक्त किया गया है वे भी ठेलो पर गुटखा खाते नजर आ जाते है l तो फिर प्रतिबन्ध कौन लगायेगा यह प्रश्न धरा का धरा रह गया है l  सरकार लोगों को नशामुक्त बनाने के लिए विज्ञापन के प्रचार-प्रसार में लाखों रुपए खर्च कर तो रही है। पर प्रतिबन्ध को सख्ती से लागु करने के लिए कोई सख्त कानून नहीं बना रही है । एक आलेख में मैंने पढ़ा है एक आंकलन से प्रदेशों में गुटखा का कुल व्यापार लगभग दो हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का होता है, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार को करों के रूप में 500 करोड़ रुपए मिलते हैं। अगर तंबाखू युक्त गुटखा पाउच पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाये तो सरकार को 500 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
    

·        तो क्या तंबाकू वाले गुटखे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाना सरकार का दिखावा मात्र है?

·        क्या यह जनता को गुमराह करने कि कोई नई तरकीब है?

·        क्या प्रतिबन्ध को सख्ती से लागु करने के लिए सरकार कोई सख्त कानून नहीं बना सकती है?

·        क्या एक साल दो साल कि अपेक्षा सरकार तंबाकू वाले गुटखे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगा सकती है?

·        क्या कुछ राज्यों की अपेक्षा प्रतिबन्ध को सारे राज्यों में लागु कर इसे राष्ट्रिय नशामुक्ति अभियान नहीं बना सकती है?

·        क्या हमारा राष्ट्र नशामुक्त नहीं हो सकता है?

·        लोगों को नशाखोरी से कैसे बचाया जा सकता है?

·        क्या नशाखोरी से बचने का कोई सस्ता और सरल उपाय नहीं है?
ऐसे ही न जाने कितने सवालों के जबाब तलाशने की कोशिश में…



उपाय:-
एक अनुसन्धान से पता चला है की नशाखोरी से बचना अपनी ही दृढ़ इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है l इच्छा शक्ति को बढ़ाने के लिए सुबह-सुबह नियमित रूप से कम से कम १० से १५ मिनट ध्यान (Meditation) के लिए समय अवश्य निकालें l और नशाखोरी से दूर रहने की कोशिश करें तब कुछ ही दिनों में आप पायेंगें कि नशे कि लत आप से दूर होते जा रहे है और आप नशामुक्त हो रहें है l 


आवाहन:-
आओ हम सब एक जुट होकर नशाखोरी को दूर करने के लिए सबको जागरुक करें और समाज को देश को नशामुक्त कर स्वस्थ समाज के नव निर्माण में सहायक बनें l


नोट: -  
समिति नशाखोरी से बचने के लिए सुझाव आमंत्रित करती है यदि आपके पास कोई सुझाव या समाधान है तो हमें अवश्य लिखें l हमें आपके खतो का इंतजार रहेगा.........

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:-
जीवन ज्योति समिति
ग्राम / पोस्ट – कोंडतराई, व्हाया – भुपदेवपुर, जिला - रायगढ़ (छ. ग.) 496661
ई-मेल – jiwanjyotisamiti@gmail.com


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