Thursday, 15 August 2013

एक ख़त आपके नाम - स्वतंत्रता दिवस

एक ख़त आपके नाम - स्वतंत्रता दिवस 




"आज १५ अगस्त २०१३ को स्वतंत्रता दिवस ६७ वाँ अधिवेशन के पावन पर्व पर जीवन ज्योति समिति के तरफ से समस्त भारत वासियों को हार्दिक बधाई"


हमेशा की भांति आज हम फिर इकट्ठा हुए है, उन शहीदों को याद करने के लिए जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता के महायुद्ध में आगे आकर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी, मुझे गर्व होता है कि मैं भी उसी भारत भूमि में जन्म लिया हूँ  इसी भारत का नागरिक हूँ l जहाँ ऐसे -ऐसे सपूत पैदा हुए है जिनकी धड़कनें देश के धड़कती थी जिनके रगों का एक-एक कतरा देश सेवा के निश्वार्थ भावना से ओतप्रोत था, लेकिन कभी-कभी मैं देश के बारे में सोचता हूँ आज की परिस्थितियों से रूबरू होता हूँ आज की हालातो को देखता हूँ तो मेरे मन की पीड़ा आँखों से खून बनकर निकलने लगती है मेरी अंतरात्मा मुझे धिक्कारने लगती है और मुझे शर्म आने लगती है की मैं भी इसी भारत का नागरिक हूँ l


क्या यह वही भारत है जिसकी कल्पना, जिसके सपने हमारे शहीदों ने देखे थे?

क्या यह वही भारत है जिसके लिए उन्होंने अपना बलिदान दे दिया था ?

क्या हम इस दिन शहीदों के बलिदानों का जश्न मनाने के लिए इकट्ठा होते है ?

क्या हमारा कर्तव्य सिर्फ तिरंगा फहराने तक ही सीमित  है?

क्या हम इतने कठोर है कि वीरों के बलिदान से भी हमारा मन नहीं जाग रहा है ?

नहीं न ?

तो फिर यूँ चुप क्यों हो?

उठो?

जागो?

बढ़ चलो?

क्योकि यह समय, यह धरती तुम्हे पुकारती है। .............

Thursday, 27 June 2013

एक ख़त आपके नाम - हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी

एक ख़त आपके नाम - हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी


           राष्ट्र को सशक्त बनाने में राष्ट्रभाषा का होना नितांत आवश्यक है इससे राष्ट्र की एकता, अखंडता के साथ-साथ धार्मिक तथा सांस्कृतिक एकता बढ़ती है। और राष्ट्र समृद्धशाली होता जाता है इसीलिए प्रत्येक विकसित तथा स्वाभिमानी देश की अपनी एक भाषा अवश्य होती है जिसे राष्ट्रभाषा कहा जाता है।


         हमारे देश में भी इसी सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान दिया गया है हम सभी इस बात को मानते ही नहीं है अपितु जानते भी है  कि हिन्दी भाषा लिखने-पढ़ने और बोलने में सरल है। और तो और  ‘हिन्दी वह भाषा है, जिसे हिन्दू, मुस्लिम के साथ ही साथ सभी धर्म वाले बड़ी सहजता से बोलते है l पर यह सम्मान सिर्फ संविधान के पन्नों में ही सिमटकर रह गई है क्योकि इसको देश में लागु करने के लिए कोई कठोर कानून नहीं बनाया गया है यह भाषा सिर्फ ऐच्छिक हो कर रह गई है l  अगर हम हिन्दी को सही अर्थों में राष्ट्र भाषा के पद पर प्रतिष्ठापित करना चाहते हैं तो हमें अपने संविधान की धाराओं में संशोधन करते हुए हिंदी भाषा को पुरे देश में अनिवार्य रूप से लागु करना पड़ेगा l


          प्रथम चरण में इसकी शुरुआत हमें हिंदी भाषा की नीवं रखते हुए अपनी शिक्षा में सुधार लाते हुए सभी स्कूलों चाहें वह सरकारी हो या निजी, चाहे उनमें किसी भी भाषा में ही क्यों न पढाई होती हो, हिंदी की पढाई को जो की अभी ऐच्छिक बिषय है उसे अनिवार्य बिषय बनाते हुए जो भी आवश्यक संशाधन की जरुरत हो पूर्ति करनी होंगी l जिससे हिंदी भाषा की नींव मजबूत होगी और नई पीढ़ी की विचारधारा में बदलाव आयेगा l द्वितीय चरण में हिंदी भाषा को मजबूत बनाने के लिए सरकारी कार्यालयों में चाहे पंचायत हो या जनपद पंचायत, बैंक हो या अस्पताल, थाना हो या रेलवे का कार्यालय सभी दस्तावेज हिंदी में ही होने चाहिए और तो और सरकारी कामकाज में हस्ताक्षर भी हिंदी में मान्य होने चाहिए l 


         यहां तक की हमारे बोलचाल की भाषा में बदलाव लाते हुए BYE, TATA जैसे वाक्यों को बोलचाल से दूर करने होंगे क्योकि हाथ हिलाकर हम  TATA कहते है उसका अंग्रेजी में कोई अर्थ होता ही नहीं है यह TA का मिश्रित रूप है जिसका अर्थ धन्यवाद, कृपया, शुक्रिया होता है और जिसे हम किसी से विदाई लेते समय इस्तेमाल करते है उस परिस्थिति में हम हिंदी में "फिर मिलेंगें" या अंग्रेजी में BYE कह सकते है लेकिन जहाँ तक हम समझते है कोई भी हिंदुस्तानी BYE शब्द का उपयोग नहीं करना चाहेगा क्योकि BYE का अर्थ अलविदा होता है और ज्यादातर आदमी अलविदा के अपेक्षा "फिर मिलेंगें" कहना ज्यादा सार्थक और उचित समझेगा l  इसी तरह से हमें दूरसंचार के वाक्यों को भी बदलना होगा और “HELLO” की स्थान पर हिंदुस्तानी संस्कृति का सम्मानित शब्द “नमस्ते” “हाँ जी” या “जी” का प्रयोग करने होंगे l हालाँकि यह सब इतना आसान नहीं है लेकिन असम्भव तो कुछ भी नहीं है l जरुरत है पहल करने की -



Ø  क्या हम अपने राष्ट्रभाषा के लिए इतना नहीं कर सकते?
Ø  क्या हम अपने राष्ट्रभाषा को भूलते जा रहें है?
Ø  क्या हम अपने आप को सही अर्थों में पढ़ें-लिखें कह सकते है? जबकि हमें अपने ही भाषा का ज्ञान नहीं है ?
Ø  क्या वास्तव में हम अब भी गुलामी में रह रहें है?
Ø  क्या हमें वास्तविक आजादी नहीं मिलेगी?
Ø  क्या सरकार राष्ट्रभाषा को पुरे देश में लागु नहीं कर सकती है?
Ø  क्या सरकार राष्ट्रभाषा को पुरे देश में लागु करने के लिए कठोर कानून नहीं बना सकती है?
Ø  क्या हमारी राष्ट्रभाषा का आने वाले समय में कोई अस्तित्व नहीं रहेगा?
Ø  क्या हम अपने ही राष्ट्र भाषा को बचा नहीं सकते है?

ऐसे ही न जाने कितने सवालों के जबाब तलाशने की कोशिश में -


        हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रयोग बहुलता से कर राष्ट्र के प्रति अपनी सम्मानता और कृतज्ञता प्रकट करने से हम पीछे नहीं हटेंगें l और यदि हम इस तरह से हिन्दी को उसका वास्तविक हक़ दिलाने के लिए तथा उसे सही अर्थों में राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठापित करने की योजनाएँ बनाते हैं तो आने वाले कुछ ही समयों में हिंदी वास्तव में राष्ट्रभाषा के पद पर गौरवान्तित होगी l तो आइए आज से ही हम सब हिंदी को वास्तविक राष्ट्रभाषा बनाने हेतु नि:स्वार्थ भाव से प्रयास करें।


जीवन ज्योति समिति
ग्राम / पोस्ट – कोंडतराई, व्हाया – भुपदेवपुर, जिला - रायगढ़ (छ. ग.) 496661
फोन नं. – 09981299393, ई-मेल – jiwanjyotisamiti@gmail.com

Saturday, 1 June 2013

एक ख़त आपके नाम - नशामुक्ति अभियान

एक ख़त आपके नाम - नशामुक्ति अभियान
“नशाखोरी से दूर रहे यह आपको कैंसर जैसे बिमारियों से पीड़ित कर सकता है यह एक धीमा जहर है l जो आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने के साथ-साथ ही आपके परिवार के खुशियों को भी निगल सकता है l”


मंदिर मस्जिद की दीवारें हो या सरकारी आफिसों का कोई कोना, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन हो या रेलगाड़ियों की खिड़कियाँ, चौराहे की खम्बे हो या हावड़ा का पुल हर तरफ गुटखा का जरदायुक्त थूक ही थूक दिखाई देता है l जिसे देखकर घिन्न आने लगती है जो स्थानों को दूषित करने के साथ ही साथ वातावरण को जहरीला बना रहा है l तम्बाकू युक्त गुटखा खाकर लोगों की शक्लें अजीब-अजीब सी होती जा रही है,  सभी तरफ गले का कैंसर, मुंह का कैंसर की रोगियों की संख्या दिन ब दिन  लगातार बढती जा रही है। हालात चिंता जनक है फिर भी जनता सब जानते हुए भी तम्बाकू युक्त गुटखा खाने से, खाकर थूकने से बाज नहीं आ रहे है l बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी बड़ों को देखकर नशाखोरी करने लगे है और सरकार की माने तो सरकार ने गुटखा पाउच पर रोक लगाने का फैसला लिया है। और कई राज्यों पर तंबाकू वाले गुटखे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। छत्तीसगढ़ में गुटखा एवं पान मसाला पर एक साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है। तंबाकू वाले गुटखे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए ओडिशा सरकार ने भी घोषणा कर दी है और  इस तरह से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, गोवा, उत्तराखंड और ओडिशा समेत कुल 17 राज्यों में तंबाकू उत्पाद पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। इस तरह से देखा जाये तो लगभग हर राज्यों में तंबाखू युक्त गुटखा पाउच पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन यह प्रतिबन्ध सिर्फ कागजो तक ही सिमट कर रह गया है एक आलेख में मैंने पढ़ा है भारत में सालाना लगभग 9 लाख मौतें नशाखोरी से होती हैं। वहीं विश्व स्तरीय दृष्टिकोण से देखे तो नशाखोरी में भारत का दूसरा स्थान है। इस तरह से तो प्रतिबंध का असर कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। अगर प्रतिबंधित राज्यों के क्षेत्रों का दौरा किया जाये तो ऐसा कोई क्षेत्र नहीं मिलेगा जहां तंबाकू वाले गुटखे न बिक रहे हो। पहले पान ठेले, चाय ठेले पर गुटखे मिलते थे पर अब तो दुकानों के साथ-साथ गुटखे का चलता फिरता ठेला भी देखने को मिल जाता है और अब तो खास बात यह नजर आती है कि जहां गुटखा एक रुपए का बिकता था, वह दो से तीन रुपए, तो कहीं-कहीं चार रुपए का बिकता दिखायी देता है। जिससे दुकान वालो की चांदी हो गई है ये दुकान वाले, ठेले वाले कब, कहाँ और किस थोक दुकान से गुटखा पाउच की व्यवस्था कर लेते हैं किसी को पता भी नहीं चलता हैं । मजेदार बात तो यह है कि इन ठेलो पर गुटखा बेचने से रोकने के लिए जिन कर्मचारियों (पुलिस) को नियुक्त किया गया है वे भी ठेलो पर गुटखा खाते नजर आ जाते है l तो फिर प्रतिबन्ध कौन लगायेगा यह प्रश्न धरा का धरा रह गया है l  सरकार लोगों को नशामुक्त बनाने के लिए विज्ञापन के प्रचार-प्रसार में लाखों रुपए खर्च कर तो रही है। पर प्रतिबन्ध को सख्ती से लागु करने के लिए कोई सख्त कानून नहीं बना रही है । एक आलेख में मैंने पढ़ा है एक आंकलन से प्रदेशों में गुटखा का कुल व्यापार लगभग दो हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का होता है, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार को करों के रूप में 500 करोड़ रुपए मिलते हैं। अगर तंबाखू युक्त गुटखा पाउच पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाये तो सरकार को 500 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
    

·        तो क्या तंबाकू वाले गुटखे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाना सरकार का दिखावा मात्र है?

·        क्या यह जनता को गुमराह करने कि कोई नई तरकीब है?

·        क्या प्रतिबन्ध को सख्ती से लागु करने के लिए सरकार कोई सख्त कानून नहीं बना सकती है?

·        क्या एक साल दो साल कि अपेक्षा सरकार तंबाकू वाले गुटखे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगा सकती है?

·        क्या कुछ राज्यों की अपेक्षा प्रतिबन्ध को सारे राज्यों में लागु कर इसे राष्ट्रिय नशामुक्ति अभियान नहीं बना सकती है?

·        क्या हमारा राष्ट्र नशामुक्त नहीं हो सकता है?

·        लोगों को नशाखोरी से कैसे बचाया जा सकता है?

·        क्या नशाखोरी से बचने का कोई सस्ता और सरल उपाय नहीं है?
ऐसे ही न जाने कितने सवालों के जबाब तलाशने की कोशिश में…



उपाय:-
एक अनुसन्धान से पता चला है की नशाखोरी से बचना अपनी ही दृढ़ इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है l इच्छा शक्ति को बढ़ाने के लिए सुबह-सुबह नियमित रूप से कम से कम १० से १५ मिनट ध्यान (Meditation) के लिए समय अवश्य निकालें l और नशाखोरी से दूर रहने की कोशिश करें तब कुछ ही दिनों में आप पायेंगें कि नशे कि लत आप से दूर होते जा रहे है और आप नशामुक्त हो रहें है l 


आवाहन:-
आओ हम सब एक जुट होकर नशाखोरी को दूर करने के लिए सबको जागरुक करें और समाज को देश को नशामुक्त कर स्वस्थ समाज के नव निर्माण में सहायक बनें l


नोट: -  
समिति नशाखोरी से बचने के लिए सुझाव आमंत्रित करती है यदि आपके पास कोई सुझाव या समाधान है तो हमें अवश्य लिखें l हमें आपके खतो का इंतजार रहेगा.........

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:-
जीवन ज्योति समिति
ग्राम / पोस्ट – कोंडतराई, व्हाया – भुपदेवपुर, जिला - रायगढ़ (छ. ग.) 496661
ई-मेल – jiwanjyotisamiti@gmail.com


इसे भी देखे:-

Friday, 3 May 2013

एक ख़त आपके नाम (जनहित में जारी)


जीवन ज्योति समिति


“एक ख़त आपके नाम (जनहित में जारी)”

   किसी भी देश के विकास में व्यक्ति की नई विचारधारा का ही योगदान रहा है और नई सोच का विकास एक स्वस्थ शरीर में ही हो सकता है यदि व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से दुर्बल हो तो व्यक्ति को अस्वस्थ या बीमार माना जा सकता है और बीमारी का यदि समय रहते समुचित इलाज नहीं मिले तो शारीरिक शिथिलता के साथ-साथ विकलांगता आती है या फिर जीवन का ही ह्रास हो जाता है l व्यक्ति के इस जरुरत को सरकार ने जाना और विभिन्न स्थानों पर चिकित्सा सेवाओं के लिए प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और अस्पतालयों की व्यवस्था की गई है, पर जनसँख्या और बीमार व्यक्तियों के तुलना में चिकित्सा केन्द्रों की संख्या बहुत ही न्यून है और जो केंद्र, जो अस्पताल चल रहे है वहां साफ सफाई का सर्वथा आभाव रहता है और उनका सञ्चालन भी अव्यवस्थित रहता है इसके लिए या तो सरकार का सर्वेक्षण जिम्मेवार है जो की अभी तक बीमारियो और उनकी दवाइयों का सही ढंग से पता नहीं लगा पाया है या फिर चिकित्सक की पढाई जिसमें दवाओं के बारे में सही जानकारी उपलब्ध नहीं होती है वजह चाहे जो भी हो पर अगर सरकारी अस्पतालयों में इलाज के लिए जाया जाये तो या तो चिकित्सक का अभाव रहता है या दवाइयों का, जो की अकसर बाहर से ही खरीदनी पड़ती है और जो दवाइयां अस्पताल में है उनका अवधी समाप्त हो जाता है, पड़ी पड़ी ख़राब हो जाती है और कूड़ेदानो में भरी हुई मिल जाती है l


            इन्ही समस्यों को देखते हुए बीमार व्यक्ति निजी चिकित्सा केंद्र का सहारा लेता है जहाँ चिकित्सक का समय भी बीमार व्यक्तियों के गणनाओ पर चलता है दस बीमार व्यक्तियाँ है तो चिकित्सक दो घंटा देरी से आएगा, बीस है तो एक घंटा, तीस है तो आधा घंटा और चालीस रहेंगें तब जाकर चिकित्सक सही समय पर आएगा और परामर्श शुल्क के नाम पर व्यक्तियों को लुटा भी जायेगा क्योकि वहां परामर्श शुल्क दिखाया कुछ जाता है और लिया कुछ जाता है जिसकी रसीद भी प्राप्त नहीं होती है और तो और इलाज तो होता है पर बीमारी के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती है और न ही बीमारी के बारे में पर्ची में ही कुछ लिखा जाता है , जब बीमारी का पता चलता है तब तक बहुत देर हो गई होती है और कभी धन के अभाव में या कभी समय के अभाव में बीमारी, व्यक्ति को पूरी तरह से निगल जाती है l  
         

v  क्या इसके बारे में जनता कुछ नहीं कर सकती है?

v  क्या इसके बारे में सरकार कुछ नहीं कर सकती है?

v  क्या अस्पतालयों का सञ्चालन को व्यवस्थित नहीं किया जा सकता है, या सञ्चालन को व्यवस्थित करने के लिए कठोर नियम नहीं बनाया जा सकता है?

v  क्या बीमार व्यक्ति को बीमारी के बारे में सही जानकारी लेने का हक़ नहीं है?

v  क्या सरकार चिकित्सक के लिए कुछ कठोर नियम नहीं बना सकती है?

v  क्या चिकित्सक की लापरवाही पर सरकार अंकुश नहीं लगा सकती है?

v  क्या सरकार द्वारा प्रदत दवाइयों का वितरण प्रणाली सही है?

v  क्या परामर्श शुल्क का रसीद नहीं मिल सकता है?

v  क्या सरकार परामर्श शुल्क पर टैक्स नहीं लगा सकती है?

v  क्या परामर्श शुल्क के नाम पर यह अवैध वसूली का कारोबार नहीं है?



ऐसे ही न जाने कितने सवालों के जबाब तलाशने की कोशिश में..............



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जीवन ज्योति समिति
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Saturday, 20 April 2013

JEEVAN JYOTI COMMITTEE


जीवन ज्योति समिति का गठन
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             भारत, एक  लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। जनता के कल्याण के लिए समय-समय पर उचित व्यवस्थाये एवं योजनायें भी उपलब्ध कराती रहती है लेकिन काम की अधिकता के कारण उनके कार्यों का कार्यवाहन भलीभांति नहीं हो पाता है l  फलस्वरूप उसका लाभ ग्रामीण जनता तक नहीं पहुँच पाता और वे उन योजनाओं से पूर्ण रूप से लाभवान्तित नहीं हो पाते है  इन्ही समस्याओं को देखते हुए ग्राम कोंड़तराई में जीवन ज्योति समिति का गठन २१ सितम्बर २०११ में किया गया l जो जीवन ज्योति समिति के नाम से सरकार द्वारा २३ नवम्बर २०१२ को पंजीकृत किया गया है l 

समिति के गठन का अभिप्राय ऐसी सभी सेवाओं और सुविधाओं से है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बुनियादी सहायता प्रणाली का निर्माण करती हैं। यह वही नींव है जिस पर गांव के दिन प्रतिदिन के आर्थिक क्रियाकलाप के कार्य निर्भर करते हैं। इसमें पर्यावरण के सुरक्षा, सड़क व्यवस्था से लेकर ग्रामीण विकास के उपाय भी शामिल हैं। ऐसी सभी उपयोगिताएं अपने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंधों के जरिए ग्रामीण के विकास को सुसाध्य बनाने के लिए उचित माहौल मुहैया कराती हैं। समिति इस बारे में भी सुझाव सुनिश्चित करती है कि सरकार द्वारा प्रदत परियोजनाओं एवं आर्थिक सुविधाओं का वितरण प्रस्तावित योजना के अनुरूप ही हो रहा है या नहीं। वह इस बात की भी जांच करेगी कि ये सरकारी उपक्रम कुशलतापूर्वक चलाए जा रहे हैं ।

इस समिति का गठन निम्नलिखित उद्देश्यों से किया गया हैं:-

1.    प्राथमिक शिक्षा स्तर के सुधार के लिए उचित साधन उपलब्ध कराना, शैक्षिक सुविधाओं के बारे में जनता को जागरुक करना l
2.     लोगों को विभिन्न प्रकार के प्रमाणपत्रों के उपयोगिता के बारे अधिकाधिक जानकारी प्रदान करना जिससे लोगों की जीवन शैली का समुचित विकास हो और परेशानियों से बचें रह सकें l
3.    साफ-सफाई एवं पर्यावरण प्रदूषण ( वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदुषण ) आदि प्रदूषणों को नियंत्रित कर प्रदूषण का स्तर घटाने में सहायक बनना एवं प्रदूषण नियंत्रण के बारे में लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों, विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों, नीतियों, सेवाओं और सुविधाओं को जनता तक पहुँचाना l
4.    स्वस्थ नागरिक ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी मुहैया कराकर विभिन्न प्रकार के बिमारियों और उनके प्राथमिक चिकित्सा उपायों को जनता तक पहुँचाना l
5.    समाज में ब्याप्त कुरीतियों (दहेज प्रथा, कन्याभ्रुण हत्या, मरणोपरान्त भोज, बलिप्रथा, नशाखोरी ) आदि को मिटाने के साथ साथ सामाजिक संरचना के स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक बनना l
6.    समाज के व्यावसायिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए लघु उद्योगों के बारे में जनता को उचित जानकारी मुहैया करना l
7.    तीव्र गति से फैलती हुई औद्योगिक क्षेत्रों का सञ्चालन में हो रही लापरवाही का समय समय पर निरक्षण कर जनता को जागरुक बनाना l
8.    सरकार के पास भेजे गए ऐसे आवेदनों की जांच-पड़ताल करना, और जैसा भी मामला हो, उसके बारे में रिपोर्ट तैयार करना l
9.    ऐसी नीतियों की पहल करना जो ग्रामीण व्यवस्था के साथ-साथ विश्व स्तरीय मूल संरचना का समयबद्ध सृजन सुनिश्चित कर सकें।




टिप्पणी:- “आपका जीवन अनमोल है और जीवन ज्योति समिति उसी जीवन के विकास के लिए कार्य करती है आपसे अनुरोध है की उस अनमोल जीवन का थोडा सा समय अगर इस कार्यक्रम में जुड़कर या सुझाव भेजकर करें तो समिति को एक नयी विचारधारा मिलेगी और साथ ही साथ आपके इस कार्य के लिए समिति सदा आभारी भी रहेगा l”




JEEVAN JYOTI COMMITTEE

India is a democratic republic. Provides Public welfare schemes and appropriate arrangements from time to time but due to excess work Mode of operation their actions cannot be undone. Consequently does not reach the rural population and the benefits of those plans may not have fully Advantage, given these problems village Kondtarai founding a Committee on September 21, 2011. This is registered the JEEVAN JYOTI COMMITTEE name on November 23, 2012 by the Governments.

Committee means all those services and facilities which constitute the basic support system of rural economy. It is the foundation of economic activity for the day to day operations of the village depend. Protection of the environment, ranging from road system includes rural development measures. All such utilities through its direct and indirect relationships to facilitate rural development provide the proper environment. The committee also makes sure about delivery of financial facilities provided by the government and proposed projects going as planned or not. It is also examines the state-owned enterprises that are run efficiently.

This committee has the following purposes: -

1.               Provide appropriate means for the improvement of primary education level, educational facilities about to educate the public.
2.               Provide the people more and more information of certificates varieties. Thereby proper develop the lifestyle and the hassles Avoid could live.
3.               Informed the cleaning and environmental pollution (air pollution, water pollution, noise pollution) etc. Be helpful in reducing pollution levels of pollution control with to make people aware about pollution control and Environmental protection efforts by the Government, various plans, programs, policies, services and facilities to reach the public.
4.               Healthy citizens can build a healthy nation. Providing information on various diseases and their health first aid measures to reach the public.
5.               Along with purging Prevailing prejudices (dowry, Embryotony, death feast, ritual sacrifice, drugs, etc.) and raise the level of social structure as well as to contribute in society.
6.               Raise the professional level of society to provide appropriate information of public in the small industry.  
7.               Operates fast expanding industrial sectors of negligence in getting checks from time to time to educate the public.
8.               Investigate to such applications are sent to Government and, as the case may be about reports.
9.               Initiating policies such as rural system - to ensure time-bound creation of world classes with infrastructure.




Note: - "Your life is precious and JEEVAN JYOTI COMMITTEE works for the development of this life, You are requested to involve the precious little time of the Life's to sending or suggestion in our program were by the committee will receive a new ideology and simultaneously there will be eternally grateful to you for this committee”.