Friday, 3 May 2013

एक ख़त आपके नाम (जनहित में जारी)


जीवन ज्योति समिति


“एक ख़त आपके नाम (जनहित में जारी)”

   किसी भी देश के विकास में व्यक्ति की नई विचारधारा का ही योगदान रहा है और नई सोच का विकास एक स्वस्थ शरीर में ही हो सकता है यदि व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से दुर्बल हो तो व्यक्ति को अस्वस्थ या बीमार माना जा सकता है और बीमारी का यदि समय रहते समुचित इलाज नहीं मिले तो शारीरिक शिथिलता के साथ-साथ विकलांगता आती है या फिर जीवन का ही ह्रास हो जाता है l व्यक्ति के इस जरुरत को सरकार ने जाना और विभिन्न स्थानों पर चिकित्सा सेवाओं के लिए प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और अस्पतालयों की व्यवस्था की गई है, पर जनसँख्या और बीमार व्यक्तियों के तुलना में चिकित्सा केन्द्रों की संख्या बहुत ही न्यून है और जो केंद्र, जो अस्पताल चल रहे है वहां साफ सफाई का सर्वथा आभाव रहता है और उनका सञ्चालन भी अव्यवस्थित रहता है इसके लिए या तो सरकार का सर्वेक्षण जिम्मेवार है जो की अभी तक बीमारियो और उनकी दवाइयों का सही ढंग से पता नहीं लगा पाया है या फिर चिकित्सक की पढाई जिसमें दवाओं के बारे में सही जानकारी उपलब्ध नहीं होती है वजह चाहे जो भी हो पर अगर सरकारी अस्पतालयों में इलाज के लिए जाया जाये तो या तो चिकित्सक का अभाव रहता है या दवाइयों का, जो की अकसर बाहर से ही खरीदनी पड़ती है और जो दवाइयां अस्पताल में है उनका अवधी समाप्त हो जाता है, पड़ी पड़ी ख़राब हो जाती है और कूड़ेदानो में भरी हुई मिल जाती है l


            इन्ही समस्यों को देखते हुए बीमार व्यक्ति निजी चिकित्सा केंद्र का सहारा लेता है जहाँ चिकित्सक का समय भी बीमार व्यक्तियों के गणनाओ पर चलता है दस बीमार व्यक्तियाँ है तो चिकित्सक दो घंटा देरी से आएगा, बीस है तो एक घंटा, तीस है तो आधा घंटा और चालीस रहेंगें तब जाकर चिकित्सक सही समय पर आएगा और परामर्श शुल्क के नाम पर व्यक्तियों को लुटा भी जायेगा क्योकि वहां परामर्श शुल्क दिखाया कुछ जाता है और लिया कुछ जाता है जिसकी रसीद भी प्राप्त नहीं होती है और तो और इलाज तो होता है पर बीमारी के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती है और न ही बीमारी के बारे में पर्ची में ही कुछ लिखा जाता है , जब बीमारी का पता चलता है तब तक बहुत देर हो गई होती है और कभी धन के अभाव में या कभी समय के अभाव में बीमारी, व्यक्ति को पूरी तरह से निगल जाती है l  
         

v  क्या इसके बारे में जनता कुछ नहीं कर सकती है?

v  क्या इसके बारे में सरकार कुछ नहीं कर सकती है?

v  क्या अस्पतालयों का सञ्चालन को व्यवस्थित नहीं किया जा सकता है, या सञ्चालन को व्यवस्थित करने के लिए कठोर नियम नहीं बनाया जा सकता है?

v  क्या बीमार व्यक्ति को बीमारी के बारे में सही जानकारी लेने का हक़ नहीं है?

v  क्या सरकार चिकित्सक के लिए कुछ कठोर नियम नहीं बना सकती है?

v  क्या चिकित्सक की लापरवाही पर सरकार अंकुश नहीं लगा सकती है?

v  क्या सरकार द्वारा प्रदत दवाइयों का वितरण प्रणाली सही है?

v  क्या परामर्श शुल्क का रसीद नहीं मिल सकता है?

v  क्या सरकार परामर्श शुल्क पर टैक्स नहीं लगा सकती है?

v  क्या परामर्श शुल्क के नाम पर यह अवैध वसूली का कारोबार नहीं है?



ऐसे ही न जाने कितने सवालों के जबाब तलाशने की कोशिश में..............



अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:-
जीवन ज्योति समिति
ग्राम / पोस्ट – कोंडतराई, व्हाया – भुपदेवपुर, जिला - रायगढ़ (छ. ग.) 496661
ई-मेल – jiwanjyotisamiti@gmail.com



इसे भी देखे:-
www.gokulkumarpatel.blogspot.com


1 comment:

  1. छत्‍तीसगढ़ ब्‍लॉगर्स चौपाल में आपका स्‍वागत है.

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